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कॉलगर्ल

समीर के दिमाग में जैसे ही बिजली कौंधी वह चकित हो गया था। इसका मतलब था हत्यारा यह दो मर्डर करके ब्रेक लेने वाला बिल्कुल नहीं था समीर के इस तर्क के पीछे एक तगड़ा कारण था। तारक इतना सटीक था कि इस बात को प्रूफ करने के लिए किसी सबूत की जरूरत बिल्कुल नहीं थी। इसका सीधा इशारा अगले मर्डर की ओर था। अभी भी समीर इस कमरे की एक-एक चीज को बारीकी से देख रहा था। और जब उसने सोशल मीडिया पर सीसीटीवी फुटेज देखे तब घर में लगे खुफिया कैमरे के बारे में खयाल आया। तब उसकी पैशानी पर पसीने की बूंदे साफ-साफ झलक ने लगी। कितनी बड़ी चूक उससे हुई थी? ये बात समझ में आते ही उसका चेहरा पूरी तरह सफेद हो गया। समीरने बिना कोई ताकझाक के मीरा के बेडरूम में आते ही उसे अपने सीने से लगा लिया था। मीरा की जगह और कोई होता तो वो ऐसी गलती कभी नहीं करता। गलती करने का तो सवाल ही नहीं उठाता था। एक जासूस की तरह वह कितना चौकन्ना रहता था। फिर मीरा के कमरे में आने से पहले उसने वहां की दीवारें चेक क्यों नहीं की? क्यों उसने मीरा के घर को अपनी प्रेमिका का घर मान लिया? क्यों उसके दिमाग में ये खयाल नहीं आया कि मीरा का कमरा सीसीटीवी कैमरा से लैस भी हो सकता है? समीर को अपनी गलती पर अब पछतावा हो रहा था। उसने देखा की एक बालक की छवी में उसकी आँखो के जरिए कैमरा सबकुछ देख रहा था। लेकिन अब पछताने से क्या फायदा जब चिड़िया चुग गई खेत। जो गलती वह नहीं करना चाहता था वह गलती उसके दिल की गहराइयों में दबी भावनाओं के कारण हो चुकी थी। उसे कमरे में खड़े-खड़े समीर समझ चुका था कि पुलिस उसे पर निगाहें बनाए हुए थी। अब तक तो कोई इंटेलिजेंट पुलिसिया होगा तो उसमें सीसीटीवी फुटेज चेक करके मेरी जन्म कुंडली निकालने का प्लान बना लिया होगा। वह कैमरे की नजर कैद में था इसी बात से उसके हाथ पैर काँपने लगे थे। लेकिन समीर को इस बात की बड़ी ही हैरानी हुई की मीरा का पति बड़ा ही टुच्चा किस्म का आदमी था। समझ में नहीं आता क्या सोचकर उसने अपने ही बेडरूम में कैमरा लगवाया होगा? उसके अपने ही बेडरूम में ताक झाँक करने कौन आने वाला था? कितनी गंदी और गलीच सोच होगी उसकी? समीर को करण दास का बिहेवियर जरा भी ठीक नहीं लगा था। कहीं ऐसा तो नहीं की वह भी अपनी ही बीवी पर डाउट करता हो? कहीं ऐसा तो नहीं था कि मेरे और मीरा के अफेयर के बारे में करण दास को पता चल गया हो? कहीं ऐसा तो नहीं की सब कुछ जानते हुए भी मीरा के पिता का रुतबा देखने के बाद कुछ भी कहने की उसकी हिम्मत नहीं हुई हो? यह सब बातें सोचने के बाद समीर के माथे पर बल पड़ गए अगर ऐसी बात थी तो हो सकता है करण दास मेरे और मीरा के रिश्ते के बारे में सब कुछ जानता था। बेचारा--कुछ जानता भी था फिर भी मारा गया है। किसी ने उसी का ही कत्ल कर दिया था। आखिर क्यों करेगा कोई उसका मर्डर? सुना है मीरा भी उसके धंधे में हाथ बटाती थी। वो भी डायमंड कंपनी की हिस्सेदारी थी, तो ऐसा भी तो हो सकता है अपने पति की सारी दौलत हडपने के लिए उसने ही गेम बजा डाला हो? समीर ने मन ही मन पुलिस की नजर बचाकर करण दास की फैक्ट्री में जाने का मन बना लिया। हो सकता है करण दास की मौत की वजह से फिलहाल फैक्ट्री बंद हो। जब फैक्ट्री शुरू होगी तो वहां एक चक्कर जरूर लगा लूंगा। वहां से कोई ना कोई कड़ी हाथ लग जाएगी। अक्सर साथ में बिजनेस करने वाले दोस्त ही कभी-कभी धोखा देते हैं--- आस्तीन के सांप बनकर। और ऐसे आस्तीन के सांप का पता लगाना इतना आसान काम नहीं है। समीर बैठे-बैठे अब तक सोच रहा था तभी उसे याद आया कि जितना हो सके जल्दी मीरा के घर से निकल जाना ठीक रहेगा। वो हंसा मा को बोलकर बिना देरी किए वहाँ से निकल गया। क्योंकि वो समझ गया था----करणदास की हत्या की तफ़तीश करने वाले पुलिसिये तक उसके आने की खबर पहुंच गई होगी। अभी तो हाल ये होगा कि मीरा के घर में आने वाले हर एक इन्सान पर नजर रखी जा रही होगी। पुलिस कभी भी मीरा के घर तक पहुँचने वाली होगी। क्योंकि फिलहाल करणदास के घर में एक संदिग्ध के रुप में वो हाजिर था। तो पूछताछ तो होनी ही थी। -----पूछताछ ही क्यों? आते ही पुलसिया सवाल करता 'कब से चल रहा है यह?' मैं पूछता 'क्या?' तो वो हैरान होकर कहता, 'लिपटम लिपटी और क्या?' खुद से बाते करने की आदत उसे थी नही--- मगर इस उलझन ने तो उसे खुद से ही बाते करने पर मजबूर कर दिया था। मतलब साफ था। पुलिस को समझते जरा भी देर नहीं लगी होगी कि करणदास के बेडरूम मे आकर उसी की विधवा पत्नी को गले लगाने वाला कौन हो सकता है? पुलिस वालो का दिमाग ऐसे मामलों में खूब चलता है। वो कहीं से भी अपने शिकार को सूंघ लेते है। चाहे वो गुनहगार हो या न हो पैसे ऐंठने तो काम आता ही है। जाते जाते भी सेवापानी भी हो जाता है। और ऐसे सेवापानी के लिए पुलिसिये कुछ भी कर गुजरते है। मीरा जैसी खुबसुरत और पैसो वाली औरत से संबंध होने का मतलब था बेहिसाब धन को कभी भी बटोरा जा सकता है। और ऐसी ही उम्मीद लेकर पुलिसिये भागे दौडे आयेंगे। ये बात और है कि अब उस घर में उन्हे मिलेगा ठेंगा---समीर नहीं। समीर पुलिसिये से मिलेगा जरूर अपनी मर्जी से। समीर कुछ सोचकर अपनी गाडी पार्किंग से निकाल कर आगे बढ गया। रास्ता उसके लिए बिलकुल अंजान था। फिर भी उसे पहुंचने से कोई भी नही रोक सकता था जहाँ उसे पहुंचना था। और अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचना है वो अच्छी तरह जानता था। इसलिये वो आगे बढता रहा। तभी समीर रास्ते के एक कोने पर खडा हो गया। क्योंकि सामने से पुलिस की गाडी जो आई थी। फिलहाल मीरा का काम किये बगैर पुलिस के पास जाना नहीं चाहता था। पुलिस उसको पहचान सकती थी। हो सकता है हर पुलिस स्टेशन में उसका फोटो स्क्रिनशार्ट लेकर पहुंचा दिया गया हो। बहुत ही सावधानी बरतते हुये समीर आगे बढता रहा। किससे मिलना है वो अब उसके दिमाग में फीट हो चुका था।

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2 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 08:57 PM

Nice one

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Gunjan Kamal

30-Sep-2023 08:22 AM

👌👏🙏🏻

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